अगर आप भारत में पुरानी बाइक ( Used Motorcycle) खरीदने का सोच रहे हैं, तो यह एक समझदारी कदम हो सकता है — खासकर जब आपका limited budget हो या पहली बार Motorcycle लेने जा रहे हों।

second-hand bike से आपको कम दाम में good quality मिल सकती है, लेकिन इसके लिए थोड़ी रिसर्च और सावधानी बरतनी जरूरी है। इस आर्टिकल में हम आपको (Tips for Buying a Used Motorcycle in India) ऐसे जरूरी टिप्स बताएंगे जो आपकी Motorcycle खरीदने की पूरी प्रक्रिया को सिम्पल और सिक्योर बना देंगे।
Motorcycle प्रति अपनी जरूरत पहचानें
पुरानी बाइक खरीदने से पहले आपको ये तय करना चाहिए कि आपकी जरूरत क्या है। क्या आप रोज ऑफिस के लिए commuter bike ढूंढ रहे हैं? या आपको long rides के लिए एक touring bike चाहिए?
sports bike शौक के लिए लेनी है या सिर्फ शहर में घूमने के लिए एक हल्की बाइक चाहिए? जरूरत साफ होगी तो ऑप्शन चुनना आसान होगा। इस लिए पहले यह तय करे की आपको किस काम के लिए Used Motorcycle चाहिए
निचे पढ़े अगला पॉइंट्स
Motorcycle का बजट तय करें
अपना बजट तय करना बहुत जरूरी है। Old bikes सस्ती तो होती है, लेकिन उसमें कुछ एक्स्ट्रा खर्च भी जुड़ जाते हैं जैसे कि RTO transfer charge, इंश्योरेंस, सर्विसिंग और कुछ पार्ट्स की रिप्लेसमेंट।
इसलिए बाइक की कीमत के अलावा 5-10 हजार रुपये एक्स्ट्रा खर्च के लिए भी तैयार रहें। की आपको किस बजट में बाइक लेनी है
Motorcycle की कंडीशन अच्छे से जांचें
Motorcycle की बाहरी चमक देखकर फैसला मत करो। असली हालत इंजन, ब्रेक्स, सस्पेंशन और टायर की बताती है। इंजन स्टार्ट करते वक्त अगर अजीब आवाज़ आ रही हो या किक बहुत भारी लग रही हो, तो सावधान हो जाओ। बाइक का बैलेंस भी जांचो, कहीं टेढ़ी-मेढ़ी तो नहीं।

ब्रेक्स को दोनों टायर्स पर दबाकर चेक करो कि वो सही पकड़ बना रहे हैं या नहीं। क्लच और गियर शिफ्ट स्मूद हैं या नहीं, ये महसूस करके देखो। अगर Motorcycle में किसी पार्ट की जंग लगी है या कोई चीज़ ढीली लग रही है, तो वो बाद में दिक्कत दे सकती है।
Motorcycle की टेस्ट राइड ज़रूरी है
बिना test ride के बाइक खरीदना ऐसा है जैसे बिना ट्रायल के कपड़े खरीदना। बाइक चलाते वक्त ध्यान दो कि हैंडलिंग स्मूद है या नहीं, गियर सही तरीके से बदल रहे हैं या नहीं और राइड करते वक्त कोई अजीब आवाज़ तो नहीं आ रही।
ब्रेक लगाकर देखो कि Motorcycle फिसलती तो नहीं, और ब्रेक की पकड़ बराबर है या नहीं। इंजन का पिकअप कैसा है, बाइक वाइब्रेट तो नहीं कर रही, और टर्न लेते समय हैंडल नियंत्रण में है या नहीं—ये सब महसूस करो। जितना टेस्ट करोगे, उतना भरोसा बनेगा।
Motorcycle की डॉक्युमेंट्स की जांच करें
पुरानी बाइक लेने से पहले उसके सभी कागज़ अच्छे से चेक करो। RC (Registration Certificate) में लिखा नाम, बाइक का नंबर और engine number ठीक से मिलाओ। RC पर कितने मालिक रहे हैं ये भी लिखा होता है—ये छोटी सी बात बहुत जरूरी है।
इंश्योरेंस वैलिड है या नहीं, यह ज़रूर देखो। PUC (Pollution Under Control) भी अपडेट होना चाहिए। अगर बाइक किसी और शहर की है, तो NOC (No Objection Certificate) होना जरुरी है। बाइक की service book मिले तो बेस्ट, इससे पता चलता है कि उसकी देखभाल कितनी अच्छे से हुई है।
बाइक का नंबर और इंजन नंबर मिलाएं
बाइक का इंजन नंबर और चेसिस नंबर, RC पर लिखे नंबर से एकदम मेल खाना चाहिए। इन नंबरों में गड़बड़ी होने का मतलब है कि बाइक की हिस्ट्री साफ़ नहीं है, और वो चोरी की या किसी केस में हो सकती है।
इसीलिए, जब भी बाइक देखने जाओ, इन नंबरों की फोटो निकालो और RC से मिलाओ। अगर कोई फर्क हो तो डील मत करो, चाहे डील कितनी भी सस्ती या आकर्षक क्यों न लगे। सही जानकारी ही आपको एक सुरक्षित डील तक पहुंचाएगी।
Motorcycle के ओनर से खुलकर बात करें
बाइक के मौजूदा या पुराने मालिक से खुलकर सारी बात करो। पूछो कि बाइक कितने समय से चल रही है, अब तक कितने किलोमीटर चली है, और उसमें कोई बड़ा एक्सीडेंट तो नहीं हुआ। बाइक की कहानी जानने से उसका असली चेहरा सामने आता है।

साथ ही ये भी जानो कि Motorcycle को मेंटेन कैसे किया गया है—क्या समय-समय पर सर्विसिंग हुई है? कोई पार्ट बदला गया है क्या? अगर मालिक ईमानदारी से सारी बात बता रहा है, तो ये एक पॉजिटिव साइन है कि बाइक सही हाथों में रही है।
online platforms से खरीदते समय सतर्क रहें
OLX, Quikr, Facebook Marketplace जैसे प्लेटफॉर्म्स पर हज़ारों सेकंड हैंड बाइक्स की लिस्ट मिलती हैं। लेकिन हर लिस्टिंग भरोसे लायक नहीं होती। कभी भी बाइक देखे बिना पेमेंट मत करो, चाहे डील कितनी भी शानदार क्यों न लग रही हो।
हमेशा वेरिफाइड प्रोफाइल्स से ही डील करो। खुद जाकर बाइक चेक करो, टेस्ट राइड लो, और डॉक्यूमेंट्स देखे बिना पेमेंट मत दो। अगर सेलर जल्दीबाज़ी कर रहा है या बहुत ज़्यादा छूट दे रहा है, तो अलर्ट हो जाओ—शायद कुछ छुपा रहा हो।
डीलर बनाम डायरेक्ट ओनर
अगर आप पुरानी बाइक किसी ट्रस्टेड डीलर से खरीदते हैं, तो प्रोसेस थोड़ा आसान होता है। डीलर आपको कागज़ी काम, RC ट्रांसफर, इंश्योरेंस और बाइक चेकअप जैसी चीज़ों में मदद करता है, लेकिन कीमत थोड़ी ज़्यादा पड़ सकती है।
वहीं डायरेक्ट सेकंड हैंड बाइक ओनर से डील करने में आप मोलभाव कर सकते हैं और कुछ पैसे बचा सकते हैं। लेकिन इसमें पूरी जांच-पड़ताल आपको खुद करनी होगी, और ट्रांसफर की जिम्मेदारी भी आपकी होगी। भरोसेमंद ओनर से ही बात करें।
ट्रांसफर और इंश्योरेंस अपडेट कराएं
बाइक खरीदने के बाद सबसे पहले उसका RC ट्रांसफर अपने नाम पर कराएं। यह प्रूफ होगा कि अब बाइक आपकी है। बिना ट्रांसफर के अगर कुछ गलत होता है, तो ज़िम्मेदारी पुराने मालिक की नहीं, आपकी मानी जाएगी।
साथ ही, bike insurance को भी अपडेट करना ज़रूरी है। पुरानी पॉलिसी में आपका नाम जोड़ें या new policy लें। इससे फ्यूचर में किसी दुर्घटना या कानूनी मामले में आपको परेशानी नहीं होगी।